मिट्टी की सोंधी खुशबु जैसी मेरी माँ,
भोली सी बच्चे की मुस्कान जैसी मेरी माँ,
उसके स्पर्श से गहरे से गहरा जख्म भी मुस्कराने लगे,
उसके आँचल में छुपकर डर भी दूर भागने लगे,
उसकी मीठी सी डांट, लगे जैसे शहद टपकती हो,
उसकी मार भी नींद की थपकी सी लगे,
कभी सतोलिया कभी घर घर खेलने वाली,
गुडिया जैसी मेरी माँ,
परियों की कहानियां सुनाने वाली,
खुद परी जैसी मेरी अनमोल माँ।
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