अफ़साने
कुछ कहे कुछ अनकहे
Sunday 30 June 2013
होंसले के पंख
पंख है आसमान है उड़ने का सभी साजो सामान है,
फिर भी फासला है इतना लम्बा कि लगता है,
गिरना ही महज़ इस कोशिश का अंजाम है.....
पंखो के भरोसे तो कुछ मील उड़ लेंगे,
और कुछ किस्मत के सहारे....
पर बिन होसले के कितनी मंजिले पार कर पाएंगे?
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