Wednesday 17 July 2013

उडान

मुश्किलों के कोहरे को चीर कर,
अन्धेरों से रौशनी का कतरा छीन कर,
अपना मुकाम बनाना चाहती हूँ,
सितारों पे अपना नाम लिखना चाहती हूँ,
मैं एक ऊँची उडान भरना चाहती हूँ।

वक्त के जलजलो को मैंने भी देखा है,
काँटों की चुभन को मैंने भी सहा है,
कई मीलो का सफ़र है ये मैंने भी जाना है,
फिर भी अपने ख्वाबों को हकीकत मैं बदलना चाहती हूँ,
मैं एक ऊँची उडान भरना चाहती हूँ।

है मुमकिन कहीं हार जाऊं,
तुफानो की तेज हवाओं में बिखर जाऊं,
टूट जाये आस, छुट जाये मंजिलें,
पर वक्त के फैसले को मैं मोड़ना जानती हूँ,
मैं एक ऊँची उडान भरना चाहती हूँ।

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