आज पहली दफा एक दोस्त ने पूछा,
इतने ग़मगीन क्यों नजर आते हो?
मैंने एक ठंडी आह भरी,
और स्मृतियों से कोई एक मुक्कमल वजह
तलाशने की नाकाम कोशिश की,
फिर दिल में चुभे तीरों की ओर झांक कर
सबसे गहरे चुभे तीर को चुनने की कोशिश की,
फिर कुछ सोच कर,
न जाने कितने टूटे सपनो की चुभन
सहते सहते पीली पड़ गई आँखों को मसला,
ओर बेलब्ज ही सिल चुके होंठो पर,
बेजान जबान फेरते हुए कहा..
कुछ नहीं यार बस यूँ ही.....
इतने ग़मगीन क्यों नजर आते हो?
मैंने एक ठंडी आह भरी,
और स्मृतियों से कोई एक मुक्कमल वजह
तलाशने की नाकाम कोशिश की,
फिर दिल में चुभे तीरों की ओर झांक कर
सबसे गहरे चुभे तीर को चुनने की कोशिश की,
फिर कुछ सोच कर,
न जाने कितने टूटे सपनो की चुभन
सहते सहते पीली पड़ गई आँखों को मसला,
ओर बेलब्ज ही सिल चुके होंठो पर,
बेजान जबान फेरते हुए कहा..
कुछ नहीं यार बस यूँ ही.....
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