Monday, 30 September 2013

फुर्सत के कुछ पल


आज कुछ पल खुद के साथ जो बिताये तो लगा,जैसे अब तक खुदसे अनजान थी मैं,बढ तो रहे थे कदम पर नहीं जानती थीकिसकी पहचान थी मैं,
अब जो कुछ पल रुकी तो अहसास हुआ,कहाँ  जाना था कहाँ से आई थी मैं,
पीछे मुड़कर उन रास्तो को देखा तोकुछ ख़ुशी का अहसास हुआशायद इसलिए कि उन रास्तो पेकुछ यादें थी कुछ बीती बातें थीया शायद जो कुछ पाया थाउस पर नाज कर रही थी मैं,
एक पल को लगा बहुत आगे बढ चुकीअब कुछ आराम करूँ जो छुट चुकी हैजिन्दगी उसे नया आयाम दूँ,इन पलो में जो सिमट गई है जीवन की खुशियाँउन्हें ही मैं अपनी मंजिल बना दूँ,छोड़ दूँ ये गर्दिशो के रास्ते,इन यादों के इन बीती बातों केसहारे ही अपना जीवन बिता दूँ।
फिर लगा अरे! ये किस सोच में डूब गई मैं,ये ही तो इन्सान की फितरत हैजो पा लिया उसका शुक्र नहींजो नामुमकिन है उसी की चाहत है,फिर समझाया भी मन को,ये गुजरे पल गुजरे रहें तभी खुशियाँ देंगेइन्हें पा लिया तो फिर नई चाहत उठ जायेगी,
और फिर एक बार मैं चलने को तैयार हो उठीमन में उन यादों को समेट करएक ऐसे रस्ते पे जो न जाने कब ख़त्म हो।





1 comment:

  1. samundar se sahil tak jo lahren aateen hai ,wo wapas nahin jatin.jo lamhe gujar gaye laute nahin. kya hota agar o laheren o lamhe agarlautke aa jate?yadon kee zameen pe phir khusbuon ka ek phul bhee nahee khilta.sabdon ko pervaj kahan milte?aap apnee ankhon me motiyon ko kaise latin?jo gaye unka jana vajib hai.,jane wale ka intajar bhi wajib hai.milne ka matlab hee hai bichhar jana .gham lajim hai khusee k liye kari dhup me chalne k bhee arth hain thandak ka sahee ahsah hota hai .sachh kahun to jo mila o achchha jo nahee mila o aur bhi achchha.dr manoj singh www.skyfansclub.blogspot.in email astrologermanbaba@gmail.com 9934018642

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